मलयालम सिनेमा में पहली दलित महिला P. K Rosy को उनके 120वें जन्मदिन Google पेश किया खास Doodle
- By Sheena --
- Friday, 10 Feb, 2023
Google presents special doodle to P. K Rosy on her 120th birthday
भारत : आज गूगल (Google) ने P. K Rosy का गूगल डूडल बनाया है। गूगल की तरफ से पी.के रोज़ी के 120वें जन्मदिन पर उनका गूगल डूडल बनाकर सम्मान दिया गया है। आपको बतादें कि आज पी.के रोज़ी का 120वें जन्मदिन है। उनका जन्म 10 फरवरी साल 1903 में त्रिवेंद्रम में हुआ था। पी.के रोज़ी (P. K Rosy) के पिता की मृत्यु उनके बचपन में हो गई थी। ऐसे में पी.के रोजी का बचपन काफी गरीबी में गुजरा। ऐसे में उन्हें घास काटकर गुजारा करना पड़ता था। हालांकि उनका बचपन से एक्टिंग में रुझान था। इसलिए वह वह मलयालम सिनेमा की पहली नायिका और भारतीय सिनेमा की पहली दलित अभिनेत्री थीं। आइए जानते है उनके बारे में कुछ और बातें।
बचपन से था अभनेत्री बनने का शोंक
हालांकि यह वो दौर था, जब महिलाओं की थियेटर और फिल्मों में एंट्री को बुरा माना जाता था। हालांकि पी.के रोज़ी ने इन सभी दकियानूसी बातों को नकारकर फिल्मों में एंट्री ली। इस तरह पी.के रोज़ी ने इंडियन सिनेमा की पहली दलित महिला बनी थी। साथ ही उन्हें मलयालम सिनेमा की पहली फीमेल लीड एक्ट्रेस बनने का खिताब भी मिला।
ये थी उनकी पहली फिल्म
वह एक ऐसे युग में थी, जब समाज के कई वर्गों में प्रदर्शन कला को हतोत्साहित किया जाता था, विशेष रूप से महिलाओं के लिए P.K Rosy ने मलयालम फिल्म विगाथाकुमारन (द लॉस्ट चाइल्ड) में अपनी भूमिका के साथ बाधाओं को तोड़ा। आज भी उनकी कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है।
P. K Rosy मलयालम फिल्म और इनसे जुड़े तथ्य
पीके रोजी ने 25 साल की उम्र में अपनी पहली फिल्म की थी। 1928 में बनी विगाथाकुमारन (द लॉस्ट चाइल्ड) एक मूक मलयालम फिल्म थी। रोजी ने उस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी। वह मलयालम सिनेमा की पहली नायिका और भारतीय सिनेमा की पहली दलित अभिनेत्री थीं। फिल्म में एक दृश्य था जिसमें पुरुष नायक उनके बालों में लगे फूल को चूमता है। इस सीन पर लोग भड़क गए और उनका घर तक जला दिया गया। इतना ही नहीं, रोज़ी को को राज्य छोड़ने के लिए भी मजबूर किया गया। ऐसा कहा जाता है कि वह एक लॉरी में तमिलनाडु भाग गईं, जहां उन्होंने उस लॉरी चालक से ही शादी कर ली और 'राजम्मा' के रूप में बस में गई थी।
Doodle बनाने की वजह
बता दें कि पी.के रोज़ी का जन्म 10 फरवरी 1903 में तिरुवनंतपुरम, पूर्व में त्रिवेंद्रम (केरल की राजधानी) में राजम्मा के रूप में हुआ था। अभिनय के लिए रोजी का जुनून कम उम्र में ही शुरू हो गया था, लेकिन समाज में उस समय महिलाओं के काम करने को लेकर कई कठोर नियम थे। उनके जीवन में हुए संघर्ष और उनकी कहानी आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है। उन्हें अपनी बाकी जिंदगी गुमनामी में गुजारनी पड़ी। इतनी गुमनामी में कि आज गूगल पर भी उनकी सिर्फ एक धुंधली सी तस्वीर है। पी.के रोज़ी का न तो कोई फोटोशूट है और न ही कोई वीडियो। इसलिए Google की तरफ से उनका ये डूडल बनाया गया। अर्थप्रकाश की टीम पी.के रोज़ी को श्रद्धांजलि देती है।